जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥ धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥ भोर https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
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